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फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग , Friedlieb Ferdinand Runge in hindi

 Friedlieb Ferdinand Runge in hindi फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग 

आज गूगल ने अपने डूडल पर नया डूडल लगाया है क्या आप जानते है कि आज जिनका डूडल लगा है वो कौन है और आज गूगल ने इनको यहाँ क्यों जगह दी है , ऐसा इन्होने क्या किया था। तो आइयें इनके बारे में विस्तार से जानते है –


फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग के बारे में 

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग का जन्म 8 फरवरी 1795 को जर्मनी हैम्बर्ग में हुआ था , तथा इनकी मृत्यु 25 मार्च 1867 को जर्मनी के ओरानिएनबर्ग, प्रशिया नामक स्थान पर हुआ था।

ये जर्मनी के एक महान रसायन वैज्ञानिक थे , रसायन वैज्ञानिक को केमिस्ट कहा जाता है , इन्होने रसायन विज्ञान में उपयोग होने वाली ‘पेपर क्रोमैटोग्राफी’ विधि का आविष्कार किया था

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग की शिक्षा के बारे में

इन्होने अपनी मेडिकल की डिग्री 1819 में पूरी कर ली थी , यह मेडिकल की डिग्री इन्होने जेना विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी इनके बाद इन्होने अपनी 1822 में रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) से डॉक्टरेट की देग्रे हासिल की , यह डॉक्टरेट की डिग्री इन्होने बर्लिन विश्वविद्यालय की प्राप्त की थी।

इसके बाद वे Breslau के विश्वविद्यालय में अध्यापक बन गये अर्थात विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर बन गए और अध्यापन का कार्यक्रम यही से शुरू किया था।

इसके बाद इन्होने 1831 में एक रसायन फैक्ट्री में काम करने लग गए यह रसायन फैक्ट्री Oranienburg नामक जगह पर स्थित है , इस फैक्ट्री में वे एक रसायनज्ञ की पोस्ट पर काम कर रहे थे।

यहाँ वे ‘सिंथेटिक रंजक’ अर्थात कृत्रिम रंगों पर रिसर्च कर रहे थे और यहाँ काम करते समय इन्होने कई तारकोल तेल यौगिकों का नामकरण किया इनमें से कार्बोलिक अम्ल भी बहुत महत्वपूर्ण था, अब कार्बोलिक अम्ल को अब फिनॉल कहा जाता है।

इसके अलावा इन्होने पायरोल , रसोलिक एसिड (औरिन), और सायनोल (एनिलिन) का नामकरण इसकी फैक्ट्री में रिसर्च करते हुए किया था जो आज के समय में रसायन विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण है और इनके बिना रसायन विज्ञान की गणना असंभव है या अधूरी है।

हालाँकि इन्होने इन यौगिकों के बारे में विशलेषण नहीं किया था लेकिन इन्होने 1950 में अपनी दो किताबे पब्लिश की और इसमें इन्होने पेपर क्रोमैटोग्राफी के उपयोग में बारे में विस्तार से समझाया।

पेपर क्रोमैटोग्राफी वर्तमान में रसायन विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण विधि होती है।

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग का प्रारंभिक जीवन

इनका जन्म 8 फरवरी 1794 को हमबर्ग के पास एक जगह पर हुआ था और मृत्यु 25 मार्च 1867 को ओरेनबर्ग जगह पर हुआ था , ये एक जर्मनी के महान विश्लेषणात्मक रसायनज्ञ थे।
विश्लेषणात्मक रसायनज्ञ वह वैज्ञानिक होता है तो रसायन विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत होता है और प्रकृति में पाए जाने वाली विभिन्न कणों के बारे में , नए कणों की पहचान करना , रासायनिक उपकरणों का उपयोग करने की विधि और नए नए तरीके ढूँढना जिससे कणों को अलग किया जा सके और इनकी पहचान की जा सके।
इन्होने बचपन से ही विभिन्न प्रकार के प्रयोग करना शुरू कर दिया था जिससे इनकी रुचि विज्ञान के प्रति बढती चली गयी।
1819 में जबी उनकी उम्र सिर्फ 25 साल की थी , गेटे नामक महान लेखक ने उनके हौसले को बढाया और इन्होने कॉफ़ी का विश्लेषण करके सबको दिखाया और खुद के ज्ञान को लोगों के सामने साबित किया इसके कुछ महीनो के बाद इन्होने ‘कैफीन’ की पहचान कर ली थी जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
उपलब्धि : फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग ने अपने जीवन में काम करते हुए रसायन विज्ञान में विभिन्न प्रकार के यौगिको आदि की पहचान की जैसे कैफीन , सबसे पहला तारकोल (एनिलिन नीला) , पेपर क्रोमैटोग्राफी, पिरामिड, चिनोलिन, फिनोल, थाइमोल और एट्रोपीन आदि की पहचान इन्होने की थी।
इन्होने ही सबसे पहले सन 1855 में ही ‘लिसगैंग रिंग’ का पता लगा दिया था।
इनकी सबसे पहली उपलब्धि पेपर क्रोमैटोग्राफी मानी जा सकती है।
क्या आप जानते है कि पेपर क्रोमैटोग्राफी क्या होती है ?
यह एक विधि होती है जिसके द्वारा रसायन विज्ञान में विभिन्न रंगों रसायनों या पदार्थों को अलग अलग कर दया था , इस विधि द्वारा कई प्रकार के तत्वों को जो एक साथ अच्छी तरह से मिले हुए हो उन्हें भी आसानी से सबको अलग अलग किया जा सकता है।

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग के पिता का नाम लूथरन पादरी थे। इनका विज्ञान के प्रति रूचि को सभी द्वारा बचपन से ही देख लिया गया था क्यूंकि इन्होने छोटी उम्र में ही विज्ञान के विभिन्न प्रयोग करना शुरू कर दिया था।

अंतिम शब्द 
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